ट्रान्सफार्मर या परिणामित्र एक वैधुतिक मशीन है जिसमें कोई चलने या घूमने वाला पार्ट नहीं होता है । ट्रांसफार्मर अन्योन्य प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है और अन्योन्य प्रेरण दिष्ट धारा में सम्भव नहीं है इस लिए ट्रांसफार्मर दिष्ट धारा में प्रयोग नहीं किया जा सकता है इसे स्थिर यन्त्र कहते है क्योंकि इसमें कोई भी घूमने वाला भाग नही होता है
जो वाइण्डिंग इनपुट विद्युत सप्लाई से संयोजित की जाती है वह प्राइमरी वाइण्डिंग होती है ।तथा जो वाइण्डिंग लोड से संयोजित होती है वह सेकेंडरी वाइण्डिंग होती है ।
Transformer- यह एक ऐसी स्थिर युक्ति है जो प्रत्यावर्ती विधुत ऊर्जा को कम वोल्टता से अधिक वोल्टता में या अधिक वोल्टता से कम वोल्टता में दी गई आवृत्ति में परिवर्तीत करता है। इसमें आवृत्ति में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
Transformer का कार्य सिद्धान्त:- Transformer अन्योण प्रेरण (Mutual Induction) के सिद्धान्त पर कार्य करता है। यह केवल प्रत्यावर्ती सप्लाई पर ही कार्य करता है।
जो वाइण्डिंग इनपुट विद्युत सप्लाई से संयोजित की जाती है वह प्राइमरी वाइण्डिंग होती है ।तथा जो वाइण्डिंग लोड से संयोजित होती है वह सेकेंडरी वाइण्डिंग होती है ।
Transformer- यह एक ऐसी स्थिर युक्ति है जो प्रत्यावर्ती विधुत ऊर्जा को कम वोल्टता से अधिक वोल्टता में या अधिक वोल्टता से कम वोल्टता में दी गई आवृत्ति में परिवर्तीत करता है। इसमें आवृत्ति में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
Transformer का कार्य सिद्धान्त:- Transformer अन्योण प्रेरण (Mutual Induction) के सिद्धान्त पर कार्य करता है। यह केवल प्रत्यावर्ती सप्लाई पर ही कार्य करता है।