Nov 15, 2018

चुम्बक (Magnet)- प्रकृति  में पाया जाने वाला कत्थई रंग का मैग्नेटाइट (Fe3 O4) पत्थर मैगनेट कहलाता है। सर्वप्रथम यह पत्थर एशिया में मैग्नीशिया नामक स्थान में पाया गया था। इसलिए इसे मैग्नेटाइट नाम दिया गया। मैग्नेटाइट शब्द सरल होकर मैगनेट रह गया।

चुम्बकत्व का अणुक सिद्धान्त (Molecular Theory of Magnetism)-
हम जानते है कि प्रत्येक पदार्थ छोटे छोटे कणो से मिलकर बनता है जो अणु (Molecules)  कहलाते है। कुछ पदार्थो के अणु स्वतंत्र चुम्बक की भांति व्यवहार करते है। सामान्य अवस्था में ये अणु पदार्थ में अनियमित रूप से बिखरे रहते है और वे एक दूसरे के प्रभाव उदासीन कर देते है।
फलस्वरूप, सामान्य अवस्था में पदार्थ में चुम्बकत्व नही होता। जब पदार्थ पर बाह्म चुम्बकीय क्षेत्र कार्य करने लगता है तो उसके अणु चुम्बक चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में व्यवस्थित होने लगते है।
जब सभी अणु चुम्बक चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में व्यवस्थित हो जाते है तो पदार्थ चुम्बक बन जाता है। अणुओं में विधमान चुम्बकीय गुण उसके परमाणुओं (atoms) में विधमान इलेक्ट्रोन्स की कक्षीय गति तथा चक्रण गति (Orbital and spin motion)  के कारण पैदा होता है। यही चुम्बक का अणुक सिद्धान्त कहलाता है।

Properties of Magnet -
चुम्बक में निम्नलिखित गुण पाये जाते है।
1. यह लोहे के बुरादे को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। चुम्बक के वे दो भाग जहाँ सबसे अधिक लोहे का बुरादा चिपकता है धुव्र(Pole) कहलाते है।
2. स्वतंत्रापूर्वक लटकाया गया चुम्बक उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहर जाता है। चुम्बक का उत्तर खोजी सिरा उत्तरी धुव्र (North pole)  तथा दक्षिण खोजी सिरा दक्षिणी धुव्र (South pole) कहलाता है। चुम्बक के इस दैशिक गुण के कारण उसे लोड स्टोन भी कहा जाता है।
3. दो चुम्बकों से सजातीय धुव्र में प्रतिकर्षण (Repulsion) तथा विजातीय धुव्र में आकर्षण (Attraction) होता है।
4. किसी लोहे की छड़ पर यदि चुम्बक को बार बार रगड़ा जाये तो वह भी चुम्बक बन जाती है।
5. किसी चुम्बक को लाल गर्म करके एक दम ठंडा कर देने पीटने या पटकने से उसका चुम्बकत्व घाट जाता है या समाप्त हो जाता है।

चुम्बकों की किस्मे (Types of Magnets) - चुम्बकों को निम्न दो मुख्य वर्गो में रखा जा सकता है। 
1 . Natural magnet
2 . Artificial magnet
1- Natural magnet- प्रक्रति में पाया जाने वाला मैग्नेटाइट पत्थर प्राक्रतिक चुम्बक कहलाता है इसका आकार बेडौल होता है और इसकी चुम्बकीय क्षेत्र तीव्रता भी काफी कम होती है अब इनका उपयोग नही किया जाता है।

2- Artificial magnet- लोहा चुम्बकीय धातुओ व लोहे की मिश्र धातुओ (alloys) से बनाये गये चुम्बक क्रत्रिम चुम्बक कहलाते है। ये दो प्रकार के होते है।

1- Permanent-  स्थायी चुम्बक वे है जिनका चुम्बकत्व अनेक वर्षों तक बना रहता है।ये फौलाद (स्टील) अ थवा मिश्र चुम्बकीय धातुओ से बनाये जाते है।  मिश्र चुम्बकीय धातु एल्युमिनियम , निकिल, लोहा, ताम्बा तथा कोबाल्ट से (8 : 14 : 51 : 3 : 24  के अनुपात में मिलाकर ) बनाई जाती है यह एलनिको (Alnico) या एल्कोनैक्स (Alconex) कहलाती है प्रारम्भ में लौह छड़ पर चुम्बक की घर्षण क्रिया से चुम्बक बनाये जाते थे परन्तु आजकल शक्तिशाली करंट वाही क्वायल के मध्य फौलाद अथवा मिश्र चुम्बकीय धातुओ की छड़ को कुछ समय तक रखा जाता है और वह चुम्बक बन जाती है स्थायी चुम्बक छड़ आकार बेलनाकार अथवा घोड़े की नल के आकार के होते है। 
2- Temporary- नर्म लोहे से बनाये गये विधुतदृचुम्बक अस्थायी चुम्बक कहलाते है। ये आवश्यकतानुसार अनेक आकार के बनाये जाते है । अस्थायी चुम्बक का अस्तित्व तभी तक रहता है जब तक कि उसकी क्वायल में से करंट बहती रहती है।

चुम्बकीय-शक्तिकीपर  – सामान्यत: स्थायी चुम्बक छड घोड़े की नाल तथा बेलनाकार आकृति  में बनाये जाते है | जब चुम्बक उपयोग किए जा रहे हो अथवा उनका भंडारण करना हो तो दो चुम्बक के विपरीत धुर्वो  को एक नर्म लोहे के टुकड़े से मिलाकर रखा जाता है लोहे का यह टुकड़ा चुम्बकीय-शक्ति कीपर  कहलाता है,कीपर एक चुम्बक अथवा दो चुम्बक के साथ मिलकर एक बन्द चुम्कीय परिपथ तैयार करता है | यह परिपथ चुम्बकीय शक्ति को बनाए रखने में सहायक होता है | इसके अतिरिक्त कीपर  चुम्बक/चुम्बको में किसी अन्य बाह्य स्त्रोत द्वारा विपरीत धुव्रता  पैदा कर उनकी चुम्बकीय शक्ति में ह्रस को भी रोकता है |

इलेक्ट्रोमग्नेट (Electromagnet)-किसी क्वायल या सोलेनोयड में करंट प्रवाहित करके नर्म लोहे की छड को चुम्बक बनाया जा सकता है जबकि नर्म लोहे की छड क्वायल के बीच रखी गई हो और प्रवाहित होने वाली करंट डी० सी० हो |  इस प्रकार बनाया गया चुम्बक विधुत चुम्बक कहलाता है | 
विशेषताएँ

  •  इसकी चुम्बकीय शक्ति करंट मान को घटा बढ़ाकर क्रमशरू घटाई बढाई जा सकती है|
  •  इसकी धुर्वता परिवर्तित की जा सकती है (करंट प्रवाह को दिशा परिवर्तित करके )|
  •  इसकी चुम्बकीय शक्ति स्थाई चुम्बको की अपेक्षा हजारो गुना अधिक हो सकती है|
  • अनेक प्रकार के यन्त्रों एव उपकरणों में केवल विधुत चुम्बक ही प्रयोग किये जा सकते है जैसे चुम्बकीय लिफ्ट या क्रेन आंख में पड़े लोहे के कण को निकलने वाला डाक्टरी यन्त्र आदि|
  •  उपयोग-विधुत घन्टी, रिले, मोटर, जैनेरेटर, वैधुतिक मापक यन्त्र आदि में इसका उपयोग किया जाता है 
चुम्बकीय प्रेरण ( Magnetic Induction )-
जब किसी लोहे की छड के पास किसी चुम्बक को लाते है या चुम्बक के पास लोहे की छड को लाते है तो उस छड में भी चुम्बकत्व पैदा हो जाता है|  यह क्रिया चुम्बकीय प्रेरण ( Magnetic Induction ) कहलाती है| वास्तव  में प्रत्येक चुम्बक लोहे की छड या वस्तु में पहले विपरीत धुर्वता या चुम्बकीय धुव्र  पैदा करता है | और तब विपरीत धुर्वो में आकर्षण के फलस्वरूप चुम्बक छड को आकर्षित कर लेता है | इस क्रिया के लिए चुम्बक और छड का सम्पर्क आवश्यक नही है |अनेक वैधुतिक मापक यन्त्रों में छड चुम्बक को एच्छिक आकर प्रदान करने के लिए चुम्बकत्व के साथ नर्म लोहे के धुर्व खण्ड  प्रयोग किये जाते है जो चुम्बकीय प्रेरण सिध्दान्त पर कार्य करते है |
धारण शक्ति (Retentivity)-
किसी चुम्बकीय पदार्थ को चुम्बक बनाने वाला चुम्बकन बल (Magnetising Force) हटा देने पर भी उस पदार्थ में कुछ न कुछ चुम्बकत्व शेष रह जाता है द्य जो अवशिष्ट चुम्बकत्व ( Residual Magnetism) कहलाता है | पदार्थ का वह गुण जिसके कारण वह अवशिष्ट चुम्बकत्व को धारण करता है धारण शीलता या धारणा शक्ति (Retentiivity) कहलाता है| चुम्बक बनाने के लिए धारणा शक्ति के आधार पर ही पदार्थो का चयन किया जाता है द्य नर्म लोहे की अपेक्षा फोलाद की धारणा शक्ति अधिक होती है |
चुम्बकीय सुई (Magnetic Needle)-
चुम्बकीय सुई या चुम्बकीय कम्पास (Magnetic Needle) में एक छोटे सुई के आकार के चुम्बक को एक काँच के ढक्कन वाले अचुम्बकीय पदार्थ से बने खोल में एक चूल (pivot) पर आलम्बित किया जाता है| सुई के उत्तरी-धूर्व अंश को काले रंग दिया जाता है | जिससे की दोनों धुरवों में से उत्तरी-धूर्व को स्पष्ट रूप से पहचाना जा सके | चुम्बको के उपरोक्त वर्णित गुणों के अनुसार,चुम्बकीय सुई सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरती है| इस लघु यंत्र का उपयोग, प्रयोगशालाओ में किया जाता है | नाविक, इस यंत्र की सहायता से अपने जलयान के शीर्ष की दिशा को वास्तविक उत्तर दिशा (True north) की अपेक्षा वांच्छिक दिशा में सैट करने के लिए प्रयोग करते है|

Magnetic Terms-

Magnetic Pole - Magnet का वह किनारा जहां पर सबसे अधिक शक्ति होती है।

Magnetic Line of force - वे चुम्बकीय रेखाऐं (Magnetic Lines) जो किसी चुम्बक छड के अन्दर साउथ (South) से नोर्थ (North) की और तथा चुम्बक छड के बाहर नोर्थ (North) से साउथ (South) की और गति करती है चुम्बकीय बल रेखाऐं (Magnetic Lines of force) कहलाती है।

Magnetic Flux - कुल चुम्बकीय रेखाऐं (Magnetic Lines) जो किसी चुम्बक के पोल से निकलती है चुम्बकीय फलक्स (Magnetic Flux) कहलाती है इसे ɸ से दर्शाया जाता है। इसका मात्रक वैबर (Weber) या मैक्सवैल (Maxwell) है तथा इसे Wb से दर्शाया जाता है।
                           या जहां से चुम्बकीय लाईन (Magnetic Lines) अन्दर या बाहर जाती है मैग्नेटिक पोल (Magnetic Pole) कहलाते है। 
                           या चुम्बक का वह किनारा जहां पर अधिक चुम्बकीय बल रेखाऐ (Magnetic Lines of force) होती है।

Magnetic Axis- एक छड चुम्बक के दोनो पोलों का मिलाने वाली काल्पनिक सीधी रेखा मैग्नेटिक अक्ष (Magnetic Axis) कहलाती है।
                                                           1Weber= 108Maxwell
 या
1Weber= 108lines

Magnetic Flux Density - किसी पदार्थ के लम्बवत प्रति ईकाई क्षैत्रफल से गुजरने वाली लाईनों को चुम्बकीय फलक्स घनत्व कहते है। इसे B से दर्शाया जाता है, इसका मात्रक वैबर/वर्ग मीटर या टैसला है तथा इसे Wb/m2
से दर्शाया जाता है।
 B=ɸ/a
                                                                                      यहां -
                                                                                            Bचुम्बकीय फलक्स घनत्व  Wb/m2  में
                                                                                            ɸ= चुम्बकीय फलक्स Wb में
                                                                                            a= चुम्बकीय बल रेखा के लम्बवत तल का
                                                                                                क्षै़त्रफल m2 में

Magnetic Fieldचुम्बक के चारों और का वह क्षैत्र जहां तक चुम्बकीय रेखाओं का प्रभाव होता है चुम्बकीय क्षैत्र कहलाता है।

Magneto Motive Force (MMF) - यह एक प्रकार का बल है जो चुम्बकीय परिपथों में चुम्बकीय फलक्स को गति प्रदान करता है। इसे लघु रूप में MMF के रूप में लिखा जाता है। इसेे Fm द्वारा दर्शाया जाता है। इसका मात्रक ऐम्पियर टर्न (A-T) है।
Fm= N I
                                                                                       यहां-
                                                                                             Fm=चुम्बकत्व वाहक बल, A-T
                                                                                             N=क्वायल में टर्नों की संख्या
                                                                                              I=विधुत धारा, ऐम्पियर में

Magnetic Field Strength - किसी चुम्बकीय क्षैत्र में किसी बिन्दू पर रखे ईकाई ध्रुव पर लगने वाले चुम्बकीय बल को चुम्बकीय क्षैत्र सामर्थ्य कहते है। इसे H से दर्शाया जाता है। इसका मात्रक एम्पियर टर्न/मीटर  (AT/m ) है। 
     H=Fm/l    
(Fm=NI)
H=NI/l
                  यहां-
                                                                                    H=चुम्बकीय क्षैत्र तीव्रता, A-T/m
                                                                                    Fm=चुम्बकत्व वाहक बल, A-T
                                                                                    N=क्वायल में घेरों की संख्या
                                                                                    I=विधुत धारा, ऐम्पियर में
                                                                                    l=कुण्डली की लम्बाई, मीटर में