Apr 22, 2020

डी.सी. मोटर के प्रकार-
डी.सी. मोटर निम्न तीन प्रकार की होती है तथा इनका प्रकार उनके क्षेत्र वाईडिंग के कनैक्शन पर निर्भर करता है।
1. Series motor
2. Shunt Motor
3. Compound Motor
(A) Cumulative Compound Motor
        (I) Long Shunt
        (II) Short Shunt
(B) Differential Compound Motor
        (I) Long Shunt
        (II) Short Shunt

1. श्रेणी मोटर-
इन मोटरों का श्रेणी क्षेत्र वाईडिंग मोटे लेमिनेटेड तार के कम टर्नों की बनी होती है। तथा इसे आर्मेचर के श्रेणी में जोडा जाता है जिससे पूर्ण भार धारा आर्मेचर और क्षेत्र वाईडिंग में से एक जैसी प्रवाहित होती है। श्रेणी क्षेत्र वाईडिंग मोटे तार की होने के कारण इसका प्रतिरोध कम होता है तथा कम प्रतिरोध के कारण इस वाइडिंग में वोल्टतापात कम होता है। इस मोटर की धारा भार पर निर्भर करती है। ये मोटरे कम भार पर कम धारा तथा अधिक भार पर अधिक धारा लेती है। श्रेणी मोटर की गति भी भार पर निर्भर करती है। कम भार पर ये मोटर अधिक तेज गति पर घूमती है और शून्य भार पर इनकी गति बहुत अधिक हो जाती है इसलिए इस प्रकार की मोटर को कभी भी बिना भार के नहीं चलाना चाहिए। ये मोटरे अधिक भार पर कम गति से घुमती है। इन मोटरों का प्रारम्भिक बलघूर्ण उच्च होता है।
श्रेणी मोटर में लाईन धाराIL=Ise=Ia
आर्मेचर में वोल्टतापात IaRa
श्रेणी वाईडिंग में वोल्टता पात = Ise Rse = IaRse
उत्पन्न होने वाला विरोधी विधुत वाहक बल Eb =V-Ia(Ra+Rse)
                           Ia=(V-Eb)/(Ra+Rse)
मोटर आर्मेचर में उत्पन्न पावर= EbIa watts
आर्मेचर में ताम्र हानि = Ia2Ra
श्रेणी क्षेत्र ताम्र हानि = Ise2Rse = Ia2Rse
मोटर की इनपुट पावर = V X IL=V X Ia       (Because IL=Ia)
उत्पन्न शक्ति = Input Power – Losses in (armature winding+ field winding)
= VIa-Ia2(Ra+Rse)

उपयोग:- जहां उच्च प्रारम्भिक बलघूर्ण की आवश्यकता होती है वहां पर श्रेणी मोटर का प्रयोग मुख्यतः किया जाता है। इन मोटरो का प्रयोग मुख्यतः ट्राम, क्रेन, ट्रेन तथा इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन, हॉयस्ट आदि में किया जाता है।

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