परिपथ (Circuit)- यह संचालक भागों की वह पद्धती है जिसमें विधुत धारा आसानी से प्रवाहित होती है। परिपथ निम्न प्रकार का होता है
1. खुला परिपथ (Open Circuit)- चित्र में मुल परिपथ दिखाया गया है जिसमें प्रतिरोध, चालक व स्वीच दिखाया गया है। इस परिपथ का स्वीच ऑफ स्थिती में है जिसके कारण इस परिपथ में धारा प्रवाह नहीं होता है क्योंकी ऑफ स्थिति में प्रतिरोध का मान अन्नत हो जाता है।
2. बन्द परिपथ (Closed Circuit)- चित्र में दर्शाये गये परिपथ का स्वीच ऑन स्थिति में इस अवस्था में परिपथ में धारा का प्रवाह होता है तथा परिपथ का प्रतिरोध लोड प्रतिरोध पर निर्भर करता है।
3. लघु परिपथ (Short Circuit)- जब किसी भी धारा वाही परिपथ में विपरीत धु्रवता के चालक आपस में क्नैक्ट हो जाते है वह परिपथ लघु परिपथ कहलाता है इस परिपथ का प्रतिरोध लघु पथित होने के कारण नगण्य हो जाता है जिसके कारण इस परिपथ में धारा प्रवाह बहुत ज्यादा हो जाता है और चालक जल जाता है।
दिष्ट धारा श्रेणी परिपथ (DC series circuit) :-यदि परिपथ में दो या दो से अधिक प्रतिरोधक को इस प्र्रकार से जोडा जायें की प्रथम प्रतिरोध का अन्तिम सिरा दूसरे प्रतिरोध के प्रथम सिरे से तथा दूसरे का अन्तिम सिरा तिसरें के प्रथम सिरे से तथा तिसरे का अन्तिम सिरा चौथे के प्रथम सिरे से जुडे हो तो इस प्रकार का संयोजन श्रेणी संयोजन कहलाता है। श्रेणी परिपथ का एक अच्छा उदाहरण ब्लबों की लडी है जिसका प्रयोग सजावट के लिये किया जाता है।
श्रेणी परिपथ से निम्न निष्कर्ष निकलता है -
- सभी प्रतिरोधकों में धारा प्रवाह समान होता है
- अलग अलग प्रतिरोधकों के सिरों पर वोल्टता पात अलग अलग होता है।
- कुल तुल्य प्रतिरोध परिपथ में जुडे समस्त प्रतिरोधकों का योग होता है
- कुल चालकता का विलोम अलग अलग चालकताओं के विलोम के योग के बराबर होता है।
दिष्ट धारा समानान्तर परिपथ (DC Parallel circuit) - जब दो या दो से अधिक प्रतिरोधकों के प्रथम सिरे एक साथ तथा दुसरे सिरें एक साथ जुडे तो इस प्रकार का संयोजन समानान्तर संयोजन कहलाता है। घरेलू वायरिंग में सभी वैधुतिक उपकरण इसी क्रम में जुडे होते है।
समानान्तर परिपथ से निम्न निष्कर्ष निकलता है -