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Testing Board इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की रिपेयरिंग
के कामों में उपयोग होने वाला एक ऐसा अभिन्न बोर्ड है जिसकी सहायता से शोर्ट हो चुके उपकरणों में भी बिजली का सप्लाई दिया जा सकता है। बहुत बार ऐसा होता है कि रिपेयरिंग का काम करते समय हमारे पास कुछ ऐसे शोर्ट हो चुके उपकरण भी आ जाते हैं जो सप्लाई दिए जाने वाले प्लग पर भी शोर्ट हो चुका होता है। ऐसे शोर्ट हो चुके उपकरण को यदि हम सीधे ही बिजली बोर्ड में लगाकर सप्लाई दे देंगे तो फेस और न्यूट्रल nksuks
ही आपस में शोर्ट हो जायेगा और इससे हमारा वायरिंग खराब हो जायेगा या फिर इससे भी बड़ी प्रॉब्लम हो सकती है।
ऐसे ही समस्याओं से निपटने के लिए खासकर हरेक उन मैकेनिक के पास सीरीज टेस्टिंग बोर्ड का होना बहुत ही जरूरी होता है जो इलेक्ट्रिक उपकरणों के रिपेयरिंग का काम व्यवसाय के तौर पर करते हैं।
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Testing Board के माध्यम से आप किसी भी प्रकार से शोर्ट हो चुके उपकरणों को बड़े ही आराम से पॉवर सप्लाई दे सकते हैं। ऐसा करने से आपको कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।
उम्मीद है कि अब आप समझ गए होंगे कि हमें सीरीज टेस्टिंग बोर्ड की जरूरत क्यों पड़ती है. तो चलिए अब जानते हैं कि ये इवंतक कैसे बनाया जाता है।
Circuit डायग्राम के अनुसार, सॉकेट में न्यूट्रल का सप्लाई तो डायरेक्ट दे दे देते है लेकिन फेस के कनेक्शन के श्रेणी क्रम में फ्यूज, बल्ब होल्डर और स्विच को लगा दिया गया है।
दरअसल एक सिंपल बिजली बोर्ड और सीरीज टेस्टिंग बोर्ड में यही अंतर होता है। सिंपल बिजली बोर्ड के सॉकेट में डायरेक्ट सप्लाई दिया जाता है जबकि श्रेणी टेस्टिंग बोर्ड में सॉकेट के श्रेणी क्रम में एक बल्ब होल्डर लगा दिया जाता है।
जब इस बोर्ड में सप्लाई दिया जाता है तो फेज का सप्लाई सबसे पहले फ्यूज, फिर फ्यूज से होते हुए बल्ब होल्डर अर्थात बल्ब में जाता है। इसके बाद बल्ब से होते हुए स्विच में और फिर स्विच से होते हुए सॉकेट में चला जाता है।
लेकिन ये सप्लाई सॉकेट से आगे नहीं जा पता है क्योंकि यहाँ से आगे वायरिंग नहीं किया होता है। चूंकि इस सप्लाई का संपर्क न्यूट्रल से नहीं हो पाता है इसलिए बल्ब नहीं जलता है।
यदि सॉकेट के दोनों पिन को आपस में शोर्ट कर दिया जाये तो फेज का सप्लाई सॉकेट से होते हुए न्यूट्रल में जाने लगेगा और परिपथ पूरा हो जायेगा जिसके परिणामस्वरुप बल्ब जलने लगेगा।
लेकिन हमें तो सॉकेट के दोनों पिन को आपस में शोर्ट करने के बजाए उसमें किसी दुसरे उपकरण के प्लग को लगाना होता है। तो चलिए जानते हैं कि ऐसे में ये बोर्ड किस प्रकार से काम करता है।
जब इस बोर्ड के सॉकेट में किसी उपकरण के प्लग को लगाया जाता है तो
- यदि वो उपकरण शोर्ट होता है तो बल्ब पूरे प्रकाश के साथ जलने लगता है। पूरे प्रकाश के साथ बल्ब जलने का मतलब ये हुआ कि बल्ब को पूरा वोल्टेज मिल रहा है अर्थात चेक किया जाने वाला उपकरण शोर्ट है।
- यदि वो उपकरण ओपन होता है अर्थात उस उपकरण का कनेक्शन टूटा हुआ होता है तो टेस्टिंग बोर्ड का बल्ब बिलकुल भी नहीं जलता है क्योंकि इस स्थिति में उस बल्ब का परिपथ भी ओपन होता है।
- यदि वो उपकरण शार्ट नहीं होता है तो इस स्थिति में वो उपकरण भी अपना काम करने लगता है और बोर्ड में लगा हुआ बल्ब भी हल्की रौशनी के साथ जलने लगता है।
बल्ब हल्की रौशनी में इसलिए जलता है क्योंकि परिपथ तो पूरा हो जाता है लेकिन बल्ब और उस उपकरण के प्रतिरोध की वजह से दोनों को ही पूरा वोल्टेज नहीं मिल पाता जिस वजह से वो सही से काम नहीं करते।