Jan 17, 2019

प्राथमिक चिकित्सा क्या हैWHAT IS FIRST AID IN HINDI?
किसी भी घायल या बीमार व्यक्ति को अस्पताल तक पहुँचाने से पहले उसकी जान बचाने के लिए हमारे द्वारा किये गए प्रयास को ही  प्राथमिक चिकित्सा कहते हैं। उस आपातकाल में पड़े हुए व्यक्ति की जान बचाने के लिए हम आस-पास के किसी भी प्रकार के वस्तु का उपयोग कर सकते हैं जिससे जल्दी से जल्दी उसको आराम मिल सके अस्पताल ले जाते समय। 
दुर्घटना आदि होने के बाद कई बार ऐसा भी होता है कि प्राथमिक उपचार मिलने के बावजूद पीड़ित व्यक्ति की हालत सुधरने की बजाय और बिगड़ जाती है. उसकी ऐसी हालत प्राथमिक उपचार करने वाले व्यक्ति से गलत प्राथमिकता होना प्राथमिक उपचार करने वाले से अनजाने में हुई जरा सी गलती पीड़ित के लिए घातक हो सकती है उसकी ऐसी हालत प्राथमिक उपचार के बारे में सही जानकारी न होना होता है | 
प्राथमिक चिकित्सा निम्नलिखित इमरजेंसी अवस्ता में दी जा सकती है – किसी चीज से टकरा जाना ,इलेक्ट्रिकल शाक लगना ,दम घुटना(पानी में डूबने के कारण, फांसी लगने के कारण या साँस नल्ली में किसी बाहरी चीज का अटक जाना), ह्रदय गति रूकना-हार्ट अटैक, खून बहना, शारीर में जहर का असर होना, जल जाना, हीट स्ट्रोक(अत्यधिक गर्मी के कारण शारीर में पानी की कमी), बेहोश या कोमा, मोच, हड्डी टूटना और किसी जानवर के काटने पर किसी भी चीज से चोट लगना.

प्राथमिकता के नियम
  1. दुर्घटना या बीमार व्यक्ति के लिए सही प्राथमिक चिकित्सा का प्रयोग करें
  2. किसी को भी डाक्टर या एम्बुलेंस को बुलाने के कहें
  3. यदि पीड़ित व्यक्ति को दुर्घटना से खतरा हो तो उसे बताएं नहीं
  4. पीड़ित व्यक्ति को अकेला न छोड़े
  5. पीड़ित व्यक्ति को होसला दे कि वह ठीक हो जाएगा क्योंकि दुर्घटनाग्रस्त  व्यक्ति को होसला देना चाहिए 

प्राथमिक चिकित्सा के सिद्धांत PRINCIPLE OF FIRST AID IN HINDI

  1. सांस की जाँच करें और ABC के नियम का पालन करें
  2. अगर चोट लगी है और रक्त बह रहा हो तो जल्द से जल्द रक्तस्राव को रोकें
  3. अगर घायल व्यक्ति को सदमा लगा हो तो उसे समझाएं और सांत्वना दें
  4. अगर व्यक्ति बेहोश हो तो होश में लाने की कोशिश करें
  5. अगर कोई हड्डी टूट गयी हो, तो सीधा करें और दर्द को कम करें
  6. जितना जल्दी हो सके घायल व्यक्ति को नजदीकी अस्पताल या चिकित्सालय पहुंचाएं

प्राथमिक चिकित्सा का नियम “ABC” OF FIRST AID IN HINDI

A (AIRWAY)- सबसे पहले यह पता लगाए कि पीड़ित व्यक्ति तक वायु पहुँच रही है या नही.इससे यह मालूम किया जाता है घायल व्यक्ति को साँस कही बंद तो हो गया हो .श्वासनली में रुकाव खासकर बेहोश लोगों में जीभ के कारण हो सकता है. बेहोशी के बाद मुहँ के मांसपेशियों में ढीला पड़ने के कारण जीभ गले के पिछले भाग में गिर जाता है जिससे श्वासनली रुक जाती है
B (BREATHING)- जो व्यक्ति पीड़ित अवस्था में होते है तो उसे साँस लेने में ज्यादा दिक्कत आती है .सबसे पहले अपने कान को घायल व्यक्ति के मुह के पास ले जा कर सुनें, देखें और महसूस करें कि घायल व्यक्ति तक साँस ले रहा है या नहीं ,अगर वह साँस  ले रहा है तो उसे उसी समय अपने मुहं से साँस दे. घायल व्यक्ति को पीठ के बल सीधे लेटा कर उसके मुहँ को खोल कर अपने मुहँ से हवा भरे 

C (CIRCULATION)- अब यह देखे कि घायल व्यक्ति की नाडी चल रही है या नहीं ,अगर घायल व्यक्ति  नाडी रुक गई है तो उसके लिए कार्डियोपल्मोनरी रिसास्किटेशन ब्च्त् से चालू करें .इसमें एक बार मुहँ से हवा देने बाद मरीज के दिल के ऊपर एक हाँथ के ऊपर दूसरा हाँथ रख कर जोर-जोर से चार बार दबाएँ। जब तक घायल व्यक्ति अपने आप सांस नहीं लेता। यह काम दो व्यक्ति होने पर और भी सही प्रकार से होता है


करंट लगने पर उपचार / बिजली का झटका लगने पर क्या करें ? FIRST AID FOR ELECTRIC SHOCK IN HINDI.
इलेक्ट्रिक शॉक के लगने पर खतरा करंट और वोल्टेज के मान पर निर्भर करता है । इलेक्ट्रिक शॉक इतना खतरनाक हो सकता है कि इसमें अंदरूनी शरीर जल भी सकता है। यह पूरी तरीके से जानलेवा है।

इलेक्ट्रिक शॉक लगने पर इस प्रकार के लक्षण आप देख सकते हैं -
  1. अत्यधिक शारीर का जलना
  2. उलझन में पड़ना
  3. साँस लेने में मुश्किल
  4. हार्ट अटैक
  5. मांसपेशियों में दर्द
  6. दौरा पड़नाबेहोश हो जाना
इलेक्ट्रिक शॉक लगने पर प्राथमिक चिकित्सा के स्टेप्स -
  1. सबसे पहले बिजली के स्त्रोत को बंद करें। अगर ना हो सके तो किसी सूखी लकड़ी, प्लास्टिक या कार्ड बोर्ड से बिजली के स्त्रोत को घायल व्यक्ति से दूर कर दें।
  2. अगर आदमी होश में ना हो तो । ABC रूल फॉलो करें।
  3. चोट लगे हुए स्थान पर बैंडेज लगायें और जले हुए स्थानों को साफ कपडे से ढक दें।
  4. जल्द से जल्द मरीज को नजदीकी अस्पताल पहुंचायें।