Introduction Of Electrician- विधुत चालित उपकरणों का निर्माण, अनुरक्षण और मरम्मत कार्य करने वाला कारीगर विधुतकार कहलाता है।
दुसरे शब्दों में व्यावसायिक प्रशिक्षण की वह शाखा जिसमें विधुत चालित उपकरणों का निर्माण, अनुरक्षण एवं मरम्मत का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है विधुत्कारी कहलाती है। विधुतकार एक बहुमुखी प्रतिभा वाला कारीगर है, जो समाज एवं उद्योगों का एक आवश्यक अंग बन चुका है।
इलैक्ट्रीशियन ट्रेड (Electrician Trade):-इस व्यवसाय को इलैक्ट्रिक सर्विस प्रदान करने के उद्देय से किया गया है। इस व्यवसाय में विधुत का प्रारम्भिक ज्ञान, विधुतकीय मशीन, ट्रांसफार्मर, मशीन वांइडिंग, घरेलू एवं पावर का प्रारम्भिक ज्ञान, विधुतीय मशीन, ट्रांसफार्मर, मशीन वांडिंग, घरेलू एवं पावर वायरिंग आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है।
इलैक्ट्रीशियन के कर्तव्य (Responsibilities of an Electrician)-
1. इलैक्ट्रीशियन को कार्य करने से पूर्व सुरक्षा-सावधानियां का ज्ञान होना आवश्यक है।
2. विधुत उत्पादन, वितरण, संचारण को समझ्ाना आवश्यक है।
3. औद्योगिक प्रतिष्ठानों में लगे विधुत यंत्रों, मशीनों की फिटिंग का ज्ञान होना आवश्यक है।
4. औद्योगिक, घरेलू प्रतिष्ठानों की वायरिंग का ज्ञान।
5. विधुत मोटरों, ट्रांसफॉर्मरों, माइक्रोफोन, स्विच गियर, विधुतीय फिटिंग को समझ्ाना आवश्यक है।
6. घरेलू विधुत उपकरण जैसे पखें, कूलर, गीजर, फ्रिज, टोस्टर, हीटर, वाटरकूलर में लगी मोटर की वाइडिंग को समझ्ाना।
7. विधुत मशीनों के स्टार्टर, सबमर्सिबल पम्प, जेट पम्प, ऑल्टरनेटर, डी.सी. जनरेटर एवं मोटर की मरम्मत को जानना।
8. बैट्रियों की चार्जिंग विधि तथा इनकी मरम्मत करना जानना।
9. विधुतीय यंत्र जैसे-मैगर, अर्थ टैस्टर, वाट मीटर, आवृति मीटर, पावर फैक्टर मीटर, ऊर्जा मीटर की मरम्मत दोष ठीक करना जानना।
10. इलैक्ट्रॉनिक परिपथों की जानकारी, पैनल्स का संचालन करना जानना।
इलैक्ट्रीशियन की योग्यताएं (Abilities of an Electrician):-
1. भारतीय विधुत नियम के अनुसार घरेलू तथा पावर वायरिंग करना।
2. भारतीय विधुत नियम के अनुसार ओवरहैड लाईन का कार्य करना।
3. I.E. नियमानुसार अर्थिंग करना।
4. भारतीय मानक ब्यूरों (BIS) के अनुसार चिन्हों, संकेतो की जानकारी।
5. केबलों को जोडना व स्थापित करना।
6. सभी विधुत मशीनों की वाइन्डिंग एवं रिवाइन्ंिडग करना।
7. ट्रांसफार्मर, जनरेटर, आल्टरनेटर, तीन फेज मोटर, एक फेज मोटरों की वाइडिंग, मरम्मत, रख रखाव करना।
8. ए.सी. एव. डी.सी. के परिपथों को तैयार करना।
9. इलैक्ट्रोनिक्स परिपथों को टैस्ंिटग एवं मरम्मत करना।
इलैक्ट्रीशियन के रोजगार पाने के अवसर (Employment opportunities for an Electrician) -
1. सभी क्षेत्रों के विधुत बोर्डों में।
2. भारतीय रेलवे में।
3. भारत सरकार द्वारा संचालित उपक्रम में।
4. शासकीय, अर्द्धशासकीय सेव में।
5. सार्वजनिक फैक्ट्रियों में।
6. लिमिटेड फैक्ट्रियों में।
7. स्चिव गियर बनाने वाले उद्योगों में।
8. व्हीकल्स की वायरिंग व ऑटोमोबाईल कार्यशालाओं में।
9. होटलों, रिसॉर्ट, नर्सिंग होम, सिनमाघरों में।
इलैक्ट्रीशियन के स्वरोजगार पाने के अवसर (Self Employment opportunities for an Electrician)-
1. शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में मोटरों व स्टार्टरों की मरम्मत सेवा केन्द्र की स्थापना कर सकते है।
2. स्वयं का विधुत सामग्री का व्यवसाय शुरू कर सकते है।
3. पंखों, कूलरों, विधुत घरेलू उपकरणों की सप्लाई व मरम्मत केन्द्र स्थापित कर सकते है।
4. घरेलू व पावर वायरिंग कर सकते है।
5. रिवाइन्डिंग-डी.सी. आर्मेचर, ए.सी. वाइन्डिंग ट्रांसफार्मर, सिंगल फेज मोटर, थ्री फेज मोटर की कार्यशाला खोल सकते है।
6. बैट्री की चार्जिंग, नयी बैट्री का निर्माण कर सकते हैै।
7. ट्यूब लाईट की चौक, छोटे ट्रांसफार्मर बना सकते है।
8. विधुत यंत्रों की मरम्मत सेवा केन्द्र स्थापित कर सकते है।